जिंदगी के एक मोड़ पर मिल गए दोनों अल्फाज और अहसास करने लगे कुछ ऐसी बातें, वार्तालाप बन गया उनका अति खास अहसास ने कहा कुछ तूं अल्फाज से,मुझे देते हो तुम अभिव्यक्ति,रहुगा ताउम्र तुम्हारा शुक्रगुजार अल्फाज भी बोला मुस्कुरा कर मुझ से पहले स्थान आता है आपका,आप होते हो,तभी मेरी सार्थकता को किया जाता है स्वीकार आप हो तो मैं हूं आप बिन मुझे जाने कौन??? अहसास ने गले लगा कर कहा अल्फाज से, तुम ना होते तो मेरे भाव भी रह जाते मौन तुम मुझ से, मैं तुम से मुझे तो इतनी सी बात समझ में आई है हम दोनों हैं तभी तो हमने जग के आगे कहानी अंजु कुमार की सबको सुनाई है भावों को अल्फाजों का परिधान लेखनी ने ही तो पहनाया है कृपा बनी रहे मां सरस्वती की, आज दिल ने ये नगमा गाया है