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वो छोटा सा संदूक

*जब मां नहीं रही तब बड़ी जिज्ञासा से खोला गया मां का वह छोटा सा संदूक जिसे बरसों से मां सबसे छुपा कर रखती थी*  *ऐसा करके शायद वह सब के दिलों में कौतूहल सा भारती थी* *बहु बेटे ने जब खोला जल्दी से ढक्कन मन पर बोझ पड़ा फिर भारी*  लगे बैठकर सभी सोचने  क्या यही थी मां की जमा पूंजी सारी????? *इस जमा पूंजी का कुछ ऐसे था सामान* *मेरा वह पहला झबला जो खुद मा ने सिला था*  *मेरा पहला स्वेटर जिसके हर फंदे को  मां ने बड़ी उम्मीद से बुना था*  *मेरा पहला बस्ता,मेरे ऊन के बने छोटे छोटे मौजे,दीदी के छोटे छोटे बिंदी वाले फ्रॉक,बचपन के वे चित्र जो बन गए थे अतीत के सुनहरे दस्तावेज* *मेरे नजरिए,चांद सूरज और दीदी की छोटी छोटी सी पाजेब* *बाबा का वो आसमानी रंग का कुर्ता जो मां को बहुत पसंद था* *नानी की दी हुई कुछ साड़ी* *मेरा वह पहले पेंसिल बॉक्स जिसे मैं कई कई बार लगाया करता था  मेरी पहले जूते रुमाल और भी जाने क्या-क्या??? * वह दुपट्टा *भी था मां का उसमें, जिसे मैं खाना खाकर बिना हाथ धोए मजे से मैला करता था* * वह बिन धोया दुपट्टा मा ने बरसों से सहेज कर रखा था * *मां के अनमोल खजाने के आगे सच में मैं बहुत ही नि