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दिल में रहना तुझे आता था

बरस 64 का भया रे भाई  अभी तो शतक लगाना है भाई भाई सुना बचपन से ही मधुर सी सरगम मीठा सा तराना है

चोली दामन का नाता

बरस 65

प्रतिबद्धता और प्रयास के

अंधेरे

किरदार