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Poem on brotherhood. मजहब by snehpremchand

हर हिंदू बने विवेकानंद और हर मुस्लिम बने कलाम।  जाति को नहीं बस मिले तो मिले गुणवत्ता को सलाम।।  मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना आपसी भाईचारा ही है तीरथ और धाम।।        Snehpremchand