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Poem on Mother(( thought by Sneh Prem Chand)

*तन्हाई जब करती है कोलाहल, तब माँ याद आ जाती है* *आती हैं जब गर्मी की छुटियाँ, तब माँ याद आ जाती है* *ढलती है जब साँझ सुनहरी, तब माँ याद आ जाती है* *कौन सी ऐसी शाम है, जब माँ याद नही आती है? नही मिलता जब प्यार माँ सा कहीं, तब माँ याद आ जाती है दुखा देता है जब कोई दिल, तब माँ याद आ जाती है। *मां कहीं नहीं जाती* जग से जाने के बाद भी जीवित रहती है सदा,बन के सुंदर सार्थक विचार *हौले हौले अपना लेते हैं हम उसकी कार्यशैली और व्यवहार* *खोलती हूँ जब पट अलमारी के, तब माँ याद आ जाती है* माँ बाप ही एक ऐसा रिश्ता है जो किसी शर्त पर प्यार नही करता, हम उन्हें दुःख भी देते है,  तो भी प्रेम करते हैं।। *हमारे गुण और दोषों दोनों संग हमें जो अपनाते हैं* *कोई और नहीं मेरे प्यारे बंधु मात पिता कहलाते हैं**

आती हैं जब गर्मी की छुट्टियां

होती है जब शाम घनेरी

होती है जब शाम

सांझ होते ही(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

तन्हाई जब करती है कोलाहल,((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

तन्हाई जब करती है कोलाहल, तब माँ याद आ जाती है। आती हैं जब गर्मी की छुटियाँ, तब माँ याद आ जाती है। ढलती है जब साँझ सुनहरी, तब माँ याद आ जाती है। कौन सी ऐसी शाम है, जब माँ याद नही आती है। नही मिलता जब प्यार माँ सा कहीं,तब माँ याद आ जाती है। दुखा देता है जब कोई दिल, तब माँ याद आ जाती है। खोलती हूँ जब पट अलमारी के, तब माँ याद आ जाती है। माँ बाप ही एक ऐसा रिश्ता है जो किसी शर्त पर प्यार नही करता, हम उन्हें दुःख भी देते है, तो भी प्रेम करते है।। उनके जैसा कोई पुर्सान ए हाल,उनके जैसा कोई गम गुसार हो ही नहीं सकता।। हमे हमसे ज्यादा जानते हैं,हमारे सुनहरे मुस्तकबिल के लिए अपने माजी को भी हंसते हंसते कुर्बान कर देते हैं।। जिंदगी का परिचय अनुभूतियों से कराने वाले मात पिता एक दिन हमे छोड़ चले जाते हैं,उनकी महता का अहसास हमे उस दिन होता है।। वो आफताब है जिनके अस्त होते ही अंधेरा हमे घेर लेता है।।         स्नेह प्रेमचंद

आती हैं जब बच्चों की छुट्टियां

आती हैं जब बच्चों की छुट्टियां