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एक प्रार्थना((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कौन कहता है समय सब घावों का होता है मरहम,समय के साथ हम अपनों को धीरे धीरे भूल जाते हैं,पर कुछ अपने तो होते हैं ऐसे,समय के साथ साथ उनकी यादों के बादल और अधिक गहराते हैं, ये व्रत,त्यौहार और उत्सव उनकी ज़्यादा ही याद दिलाते हैं,स्मृतिपटल के हर कोने में ,होता है उनका वास,वो महकते हैं जीवन में ऐसे,जैसे पुष्प में होती है सुवास।। तन से बेशक चले गए हों,पर जेहन में सदा होता है उनका वास।। उनको दिव्य दिवंगत आत्मा को मिले शांति,यही परमपिता से एक अरदास।।