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कान्हा से राधा का नाता

कंठ है कान्हा,तो आवाज़ हूँ मैं, गीत है कान्हा,तो साज़ हूँ मैं, रीत है कान्हा,तो रिवाज़ हूँ मैं, भाव है कान्हा,तो अल्फ़ाज़ हूँ मैं।। नयन हैं कान्हा,तो नूर हूँ मैं, हाला है कान्हा,तो सरूर हूँ मैं,  कंठ हैं कान्हा,तो आवाज़ हूँ मैं, पंख हैं कान्हा,तो परवाज़ हूँ मैं।। अधर हैं कान्हा,तो मुरली हूँ मैं, माँग हैं कान्हा,तो सिंदूर हूँ मैं, मीत हैं कान्हा,तो प्रीत हूँ मैं, संगीत हैं कान्हा,तो गीत हूँ मैं।। माखन हैं कान्हा, तो मधानी हूँ मैं, राजा है कान्हा,तो रानी हूँ मैं, ग्वाला है कान्हा,तो गैया हूँ मैं, ममता है कान्हा,तो मैया हूँ मैं।। मंज़िल हैं कान्हा,तो राह हूँ मैं, कशिश हैं कान्हा,तो चाह हूँ मैं, लक्ष्य हैं कान्हा,तो प्रयास हूँ मैं, कान्हा के लिए सच में खास हूँ मैं।। इमारत है कान्हा,तो आधार हूँ मैं, विश्वास है कान्हा,तो प्यार हूँ मैं, बिवेक है कान्हा,तो विचार हूँ मैं, धनुष हैं कान्हा,तो टनकार हूँ मैं।। इबादत हैं कान्हा,तो मस्ज़िद हूँ मैं, सरोवर है कान्हा,तो शीतल जल हूँ मैं, परिंदा हैं कान्हा,तो पंख हूँ मैं, परीक्षा है कान्हा,तो अंक हूँ मैं।। नदिया है कान्हा,तो बहाव हूँ मैं, समझौता हैं का