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अरदास(( श्रद्धांजलि बेटी स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*कर जोड़ हम कर रहे,परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास* *7बरस आज बीत गए,आज ही के दिन प्रभु ने निज धाम में दिया था माँ को वास* *तन बेशक नही है बीच हमारे,पर दैदीप्यमान है हर अहसास* *मा का नाता था, है,रहेगा जग में सबसे खास* माँ से न कोई हुआ है,न कोई होगा,चाहे कर लो कितने ही प्रयास* यूँ ही तो माँ को जग में कहा जाता है अति खास।। कर्मों की स्याही से सफलता का इतिहास मां तूने  सच मे रच डाला, अहसासों में सदा रहेगी तूँ,तूने कैसे कैसे होगा हम सबको पाला, माँ तूँ दिनकर हम जुगुनू हैं, हम तन तो तूँ है श्वास, सच मे तूँ है नही जग में, होता ही नही ये आभास।। माँ तूँ ऐसी पावन गंगा, गंगोत्री से गंगासागर तक किया अदभुत सफर, मेहनत का ऐसा बजाया शंखनाद, आनेवाली पीढ़ियां भी करेंगी तेरी कदर।। तूँ कहीं नही गई हमारे अहसासों में होता है तेरा अहसास, सोच,कर्म,कार्यशैली में तूँ है,लगता हरदम रहती है पास।। कर जोड़ हम कर रहे परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। बेहतर को बेहतरीन बनाने में सदा रही मां तूं बेहतरीन,कहां स

अरदास

श्रद्धांजलि(( A tribute to Dr Anju Kumar by Sneh premchand))

*करबद्ध हम कर रहे  परमपिता से यह अरदास*  *मिले शांति तेरी दिव्य दिवंगत आत्मा को,  है, प्रार्थना ही हमारा प्रयास* कब *है* बदल जाता है *था* में,  हो ही नहीं पाता विश्वास।। कल तक जो थी संग हमारे, आज नहीं वो हमारे पास।। तन छोड़ कब उड़ जाता है *हंसा* हो ही नहीं पाता आभास।। * जिंदगी भले ही लंबी ना रही हो तेरी जितनी भी थी थी बड़ी खास* भरपूर सा जीवन जीया तूने, मात पिता की बन गई आस।। लिए सबके दर्द उधारे तूने, हर घाव का मरहम था तेरे पास।। आजमाइशें भी रही बहुत, उपलब्धियां भी थी अनेक, मावस में तूं, पूनम का प्रकाश*  *माटी मिल गई माटी में,  हैं,जग में सबके गिनती के श्वास* कभी बसंत कभी पतझड़ है जीव न कभी अंधेरा मावस का  और कभी पूनम प्रकाश।। * धरा पर जन्म लेने वाली ने  सच में अपनी मेहनत और लगन  से छू लिया आकाश* "संकल्प से सिद्धि तक छिपे होते हैं जाने कितने ही प्रयास* *कुछ नहीं,बहुत कुछ रहा होगा तुझ में, यूं हीं तो नहीं होता कोई इतना खास* *उच्चारण में नहीं  आचरण में रहा सदा तेरा विश्वास। जग से बेशक चली गई तूं, पर जिक्र और जेहन में सदा करेगी वास* *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही मूलमं

अरदास

यही विश्वास

अरदास thought by sneh premchand

कर जोड़ हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास, चार बरस आज बीत गए, आज ही के दिन प्रभु ने  निज धाम में दिया था माँ को वास, तन बेशक नही है बीच हमारे, पर दैदीप्यमान है हर अहसास, मा का नाता था,है,रहेगा  जग में सबसे खास।। माँ से न कोई हुआ है,न कोई होगा, चाहे करलो कितने ही प्रयास, यूँ ही तो माँ को जग में  कहा जाता है अति खास।। कर्मों की स्याही से सफलता का  ग्रंथ मां तूने सच मे रच डाला, अहसासों में सदा रहेगी तूँ, तूने कैसे कैसे होगा हम सबको पाला, माँ तूँ दिनकर हम जुगुनू हैं, हम तन तो तूँ है श्वास, सच मे तूँ है नही जग में, होता ही नही ये आभास।। माँ तूँ ऐसी पावन गंगा, गंगोत्री से गंगासागर तक  किया अदभुत सफर। मेहनत का ऐसा बजाय शंखनाद, आनेवाली पीढ़ियां भी करेंगी कदर।। तूँ कहीं नही गई हमारे अहसासों में होता है तेरा अहसास, सोच,कर्म,कार्यशैली में तूँ है, लगता हरदम रहती है पास।। कर जोड़ हम कर रहे परमपिता से यह अरदास, मिले शांति माँ की दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। पंखों की परवाज़ बनी तूं, हर गीत का सुंदर साज बनी तूं, हर काम का आगा