जहां भाव है वहां प्रेम है जहां प्रेम है वहां विश्वास है जहां विश्वास है वहां विनम्रता है जहां विनम्रता है वहां श्रद्धा है जहां श्रद्धा है वहां आस्था है और जहां आस्था है वहीं पर ईश्वर हैं एक दूजे के बिन यह सब कहीं नहीं रह पाते एक ही निवास स्थान है इनका एक को बुलाओ तो सब दौड़े चले आते पावन या में ही आकर बसते हैं ईश्वर फिर डेरा उस या से कभी नहीं उठाते।।