किसी का अच्छा होता है ज्ञान, किसी का अच्छा होता है व्यवहार। दोनो ही अच्छे रहे जिसके सदा, लोगों ने कहा उसे अंजु कुमार।। कर्म ही सच्चा परिचय पत्र हैं व्यक्ति का, वरना एक ही नाम के व्यक्ति होते हैं हजार।। ज्ञान का दीप सदा जलाया तूने, ओ अंजे हमारी! लोग कहते रहे,तुझे अंजु कुमार।। मधुर व्यवहार,मुस्कान, ज्ञान, अपनत्व और करुणा पता है तेरे घर का, सदा बेहतरीन रहा, तेरा आचार व्यवहार।। * हानि धरा की लाभ गगन का* यही आता है समझ, तेरे बिछौडे का सार।। ताउम्र तेरी डिग्निटी ओ मा जाई! रही बरकरार। सच में बहुत याद आती है तू और तेरा मधुर व्यवहार।। पल भर में ही सबको अपना बना लेती थी तूं, प्रेम ही रहा, ओ प्रेम सुता! तेरे जीवन का आधार।। ऊपर वाले को भी शायद अच्छे ही लोगों की होती है दरकार। बाज औकात इस फेहरिस्त में बहुत अपने ही हो जाते हैं शुमार।। *शो मस्ट गो ऑन, मून ऑन* की सर्वत्र आती रहती है बेशक पुकार।। सीने में धधकती हों जब ज्वालामुखी, मुस्कान कैसे लबों का कर सकती है श्रृंगार????? इस यक्ष प्रश्न का नहीं मिलता उत्तर कहीं, हिवड़ा रहता है बेकरार।। कुछ करती रही दर गुजर, कुछ क