*मैं ही नहीं प्रकृति भी दे जाए तुझे तेरे जन्मदिन पर उपहार* दिनकर दे जाए तुझे तेज अपना , चंदा बहाए सदा शीतलता की बयार।। *तारे बिखेर दें छटा अपनी, अपनी खिलावट से जीवन तेरा कर दें गुलजार* *बूटा बूटा प्रकृति का भर दे ताजगी तेरी शख्शियत में, हो औरा,और भी सुंदर तेरा हर बार* पुष्प दे जाएं महक और सौंदर्य अपना,तितली समझा जाए क्षणभंगुर जीवन का सार किसी खुले झरोखे से छनती धूप में नर्तन करते धुलिकण कर जाएं चेतना का संचार बारिश के बाद की धूप में निखरी निखरी सी हरियाली बस जाए तेरी नजरों में बेशुमार कागज की किश्ती और बारिश का टिप टिप पानी ,यादों में सदा रहे शुमार *पर्वत दे जाएं तुझे अडिगता अपनी, गहन सागर, दे जाए अपना अनंत विस्तार* *जुगनू अपनी चमक से रोशन कर दे वजूद तेरा, रोम रोम हो पुलकित तेरा बेशुमार* *कोयल दे जाए तुझे स्वर पंचम अपना, कतार बद्ध पंछी समझा जाएं एकता का सार* *मोर अपना नृत्य दे जाएं, दे जाएं हंस ,अपनी सफेदी का आधार* *हरी दूब दे जाए कोमलता अपनी, सुंदरता दे जाएं वृक्ष देवदार* ओस दे जाए सौंदर्य अपना, विशालता दे जाए कचनार प्रकृति से बड़ा नहीं होता कोई शिक्षक, प्रकृति एक कैनवास,ईश्वर क