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हौले से

कहां खो गई सहजता

नाता

आह thought by snehpremchand

जब कोई चीज़ टूट जाती है,उसको फिर से जोड़ा जाता है।दोस्तों वो पहले सी नही जुड़ती।और दिल तो बहुत नाज़ुक है,वो रफू नही होता,उसके टूटने की दरार सदा रहती है बरकरार।बेहतर है किसी का दिल किसी भी हालत में कभी न तोड़ा जाय, बेशक उसके दिल टूटने की आवाज़ नही होती पर पूरी कायनात को अहसास ज़रूर होता है,यही कारण है कभी कभी बेमौसम बारिश आ जाती है,कभी बाढ़,कभी सुनामी और कभी महामारी।आह की शाब्दिक आवाज़ भले ही न सुने,पर पूरे ब्रह्मांड में इसके दर्द को महसूस किया जा सकता है। कुदरत,प्रकृति भी एक वक़्त के बाद बदला लेे लेती है।।यह सत्य है।।      Snehpremchand