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सहजता और चिंता ((विचार स्नेह प्रेमचंद,चित्र आरुषि धवन द्वारा))

जब सहजता से चिंता को गले लगाया चिंता के चित से हट गई चिंता,बन गई सहज,उसका तो स्वरूप ही बदल आया।।

नासूर

कर्म