जब भी होता है जिक्र तेरा, अहसास हो जाते हैं जागृत और शब्द हो जाते हैं मौन किस शिद्दत से निभाई जाती है दोस्ती और रिश्तेदारी तुझ से बेहतर जानता था कौन?? *प्रतिबद्धता करुणा मर्यादा संयम विनम्रता स्नेह कर्मठता* ये सब चारित्रिक गुण समाहित थे तुझ में ऐसे, जैसे मां में स्वाभाविक रूप से ममता होती है समाई सबको लगता था *तूं उसकी खास है* यही तेरी थी सबसे बड़ी कमाई दिल दिमाग दोनों में ही रहना आता था तुझे, जीवन की सबसे मधुर शहनाई संवाद कभी ना सुस्ताए तुझ संग,ओ सावन की पुरवाई