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दिन,महीने,साल यूं ही गुजरते जाएंगे((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

दिन,महीने,साल यूँ ही बीतते जाएंगे। माँ तुझ को कभी भुला न पाएंगे।। तेरी कर्मठता को माँ सच मे हो,  दिल से सलाम। तू दिनकर हम जुगुन है माँ, था कर्म ही तेरा तकिया कलाम।। भावभीनी श्रद्धांजलि आज दे रहे  हम माँ तुझे, वो अनमोल पल, जो बिताए तेरे साये तले,अब कहाँ से लाएंगे??? दिन महीने साल यूँ ही बीतते जाएंगे।। मित्र है मां,शिक्षक है मां,मां ही है मार्ग दर्शक और सलाहकार। कहीं देख लो,कहीं खोज लो, मां सा नहीं मिलेगा कोई भी  पुर्सान ए हाल,कोई भी राजदार।। हमारा हमसे ही परिचय करवाने वाली, बेशक एक दिन जग से तो चली जाती है। पर जेहन में रहती है वो ताउम्र हमारे, रेजा रेजा रूह पर वो मरहम बन जाती है।। जिंदगी का वो हिस्सा, स्वर्ण युग होता है ,जब सिर पर मां का रहता है साया। सबसे धनवान है जग में वो ही, जिसने मां का साथ है पाया।। सहजता,जिजीविषा,ऊर्जा,ऊष्मा और उल्लास। ये सब भाव रहते हैं सदा मां के पास।। मानो चाहे न मानो, मां जीवन का सबसे सुखद अहसास।।       स्नेह प्रेमचंद