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हमारा प्यार हिसार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*सार्थक सा करने आ जाते हैं हर इतवार* *पूरे सप्ताह मन में रहता है एक इंतजार* *कर्म ही असली परिचय पत्र हैं व्यक्ति का,  वरना एक ही नाम के व्यक्ति होते हैं हजार* मात्र दीवारें ही नहीं आते रंगने ये रंगरेज हमारे, रंग देते हैं दिल सच में बेशुमार *मानो चाहे या ना मानो यहां चेतना करती है कर्मों का श्रृंगार* कर्म बन जाता है यहां मित्र आनंद का,कोई तनाव का नहीं होता शिकार स्वेच्छा से आते हैं यहां ये रंगरेज बाध्यता का नहीं यहां कोई प्रकार *मन प्रफुल्लित,तन आनंदित यही इनके परिचय का आधार* *नित नित इनकी कला का हो रहा यहां परिष्कार* *मातृभूमि से उन्हें प्रेम है सपने करने आते हैं साकार* *जोश जज्बा और जुनून* हर चित में है बरकरार *संकल्प से सिद्धि तक नहीं रुकते ये एक भी बार* *अलग परिवेश,अलग परवरिश* पर यहां एकता का संसार *मूल में उनके जनकल्याण है* शहर की भलाई सोच का आधार *न रुकते हैं कभी, न थकते हैं कभी* जैसे सब जानते हों *गीता का सार* *एक एक करके बना काफिला संगठन में शक्ति होती है अपार* अंतर्निहित शक्तियों को बाहर लाने का