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पीपल

लाज़मी thought by sneh premchand

तल्खियां नहीं,लरज लाज़मी है लहजे में, गर रिश्तों में नहीं चाहिए दरार। Faansle आ जाते हैं बिन बुलाए, औपचारिकता रिश्तों में हो जाती है शुमार।।           Snehpremchand

मरासिम thought by snehpremchand

बहुत नाजुक से हो गए हैं मरासिम आजकल, पलभर में ही आ जाती है दरार। अल्फ़ाज़ों के हथौड़े से दरक जाते हैं पल भर में ही,कटु वाणी बन जाती है कटा र।।               स्नेहप्रेमचन्द

दरकिनार thought by snehpremchnd

अपने ही जब देते हैं जख्म, वजूद में ही आ जाती है दरार। कुछ बातें चाह कर भी हम नहीं कर सकते दरकिनार।।             स्नेहप्रेमचन्द