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क्या है सच्ची श्रद्धांजलि मां को((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मुझे कुछ कहना है,मुझे ये कहना है कि माँ को  सच्ची श्रदांजलि क्या होगी?माँ को याद कर के आंसू बहाना, नहीँ, पुराने वक़्त को रोते रहना,नहीँ, बचपन के हिंडोले में झूले लेते रहना, नहीँ, इनमे से कोई माँ को सच्ची श्रदांजलि नही होगी,माँ की कर्मठता को अपनाना,बिना रुके चलते रहना,ऊँचे सपने देख उन्हें पूरा करने का हर यथासंभव प्रयास करना,न किसी से दुश्मनी,सबसे हिल मिल कर चलना,आगे बढ़ कर आना,क्रिया पर प्रतिक्रिया करना,स्वस्थ है परिहास,जिजीविषा से भरपूर रहना,हार न मानना,प्रेम से परायों को भी अपना बनाना, हर हाल में जिजीविषा का दामन न छोड़ना,ऊंचे ख्वाब देखना और फिर उसी दिशा में प्रयास करना। बेटा बेटी में भेद न करना,कथनी में नहीं करनी में विश्वास रखना,ये सब सीखना ही माँ को  सच्ची श्रधांजलि होगी,है न?????

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