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ho baat jo unke Janae ki(( vichar Sneh premchand dwara))

हो बात जो उनके जाने की, ये नयन सजल तो होने थे। बहन सी मित्र गर चली जाए, सजल नयन,अवरुद्ध कंठ तो होने थे।। फिर लौट यहीं आना, करेंगे यहीं तुम्हारा इंतजार। सौ बात की एक बात है, प्रेम ही हर रिश्ते का आधार।। मित्र के इत्र से तो महक जाता है पूरा चरित्र,मित्रता अपनी रखना यूं ही बरकरार। दिल में रहना जरूरी है फिर चाहे आदमपुर रहो या रहो हिसार।। रौनक ए महफिल बनना है तो सीखे  कोई आपसे, हर बात को साफ साफ कहना है,तो सीखे कोई आपसे, खानसामे में कोई पकवान बनाना है,तो सीखे कोई आपसे, कोई सलाह मशवरा करना है तो सीखे कोई आपसे, जो दिल में हैं वही जुबान पर, बेशक हो जाए कोई तकरार फिर लौट कर यहीं आना, करेंगे आपका इंतजार।। चार बरस से ही परिचय आपसे, पर लगता है जैसे हो चालीस साल पुराना। कोई नहीं,बहुत कुछ खास रहा होगा, यूं ही तो नहीं होता याराना।। जगह की दूरी से दूर नहीं हुआ करती दोस्ती,दोस्त तो हो जाते हैं परिवार। फिर लौट कर_______ खुशी भी है थोड़ा रंज भी है खुशी इस बात की पदोन्नति पर हो रहा  है जाना रंज इस बात का ,अब संभव नहीं होगा रोज आपका दर्शन पाना।। पर आपकी खुशी में है खुशी सबकी,  आपके उज्ज्वल भविष

बेकार