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स्नेह निमंत्रण

भा **ई जब बहन को बच्चों की शादी में देता है जो सौगात त** न मन दोनों हो जाते हैं भाव विहल, प्रेम संबंध खिल जाते हैं जैसे पारिजात।। लेन देन की बात नहीं ये,  स्नेह,परवाह,चिंता,अपनत्व की है बात।। भाई की लंबी उम्र की करती है दुआ बहना दिन और रात।। ध्यान से देखना उस मां जाई को,  आ जाते हैं नजर मात और तात।। कोई दौलत और जागीर नहीं, उसे चाहिए बस प्रेम की सौगात।।

भाई दूज

बारिश

कहीं कहीं

शुक्रगुजार

आत्मसात

योग प्राथमिक

प्रेम ही है सबसे बड़ी सौगात thought by Sneh premchand

चाहे हम कितने भी हो जाएं प्रख्यात, नहीं प्रेम से बढ़ कर कोई भी सौगात।। प्रेम गीत है प्रेम है सरगम, है प्रेम ही सुर और ताल। ढाई अक्षर प्रेम के, कर देते हैं जीवन में कमाल।। प्रेम लेना नहीं, देना जानता है, प्रेम शक्ति है हमारी,मोह है कमजोरी। प्रेम से मालामाल ही धनवान है जग में, समझो भरी है उसकी तिजोरी।। प्रेम है जीवन में सबसे सुखद अहसास। प्रेम है तो दूर रह कर भी मन के होते हैं हम पास।। प्रेम सोच बदल देता है,परस्थिति बदल देता है ,और तो और मनस्थिति भी देता है बदल। प्रेम है गर रिश्ते में,तो झोंपड़ी भी लगती है महल।। प्रेम की रामायण में सिर्फ और सिर्फ हैं अपनत्व की चौपाई। मजहब, जाति,सरहद से उपर प्रेम है, बस हो दिल की दिल से सगाई।। प्रेम किया नहीं जाता, हो जाता है, प्रेम शोर मचाता झरना नहीं। प्रेम है शांत,गहरा,अनन्त,असीम सा सागर। कायनात ही बदल जाती है सच्चे प्रेम को पाकर।। राधा का प्रेम है अमर कान्हा से,आज भी नाम राधा का कान्हा से पहले लिया जाता है। मीरा का प्रेम भी अनमोल था कान्हा के लिए,जो जहर भी अमृत बन जाता है।। नहीं अल्फाजों में वो शक्ति जो प्रेम का कर सकें बखान। हम लिखते भाव हैं,लोग पढ़ते

सौगात( Thought by Sneh premchand)

प्रेम है सबसे बड़ी सौगात

ओ दिनकर। thought by snehpremchand

ओ दिनकर ! तेरी रश्मियों को अपने भीतर कर लूं मैं आत्मसात । मेरा अंतर्मन भी हो जाए आलौकित , मिले उजियारे की सौगात।।           स्नेहप्रेमचंद

ज़ज़्बात। thought by snehpremchand

लिखने लगे जो हम ज़ज़्बात ए जेहन सोए अहसासों की चल पड़ी बारात। अनुभूतियों को मिल गई अभिव्यक्ति अतीत के झोले से उसके अक्सों की मिली अदभुत, अनुपम,सुंदर सौगात।।             स्नेहप्रेमचंद