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अर्धशतक जीवन का(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अर्धशतक जीवन का तूने बखूबी लगाया है मां जाई! एक और अर्धशतक यूं हीं लगाना, और मैं उस दिन भी लिखूं यूं हीं दिल से बधाई।। सौ बात की एक बात है, *मां जाई जीवन की मधुर शहनाई* एक नहीं दो नहीं पूरे 50 बरसों का नाता है तुझ से, बेशक तुझे दे या न दे दिखाई।। जब संवाद खत्म हो जाते हैं, तब संबंध पड़े सुस्ताते हैं।।। पर कुछ बंधन होते हैं इतने मीठे, अल्फाजों में नापी नहीं जाती उनकी गहराई।।। *रिश्ता वही अपना होता है जिसमे कभी देनी पड़े ना कैसी भी सफाई* मां का अक्स नजर आता है मां जाई में,आज अनंत गगन में कोई चमकता तारा भी दे रहा होगा तुझे बधाई।। एक नहीं आज दो प्रेम दीप जलाना एक तेरा और एक उस जननी के नाम का,जो तुझे इस जग में लाई।। सुख,समृद्धि और सफलता मिले सदा तुझे,आज जीवन के अर्धशतक लगाने पर देती है बधाई यही तेरी मां जाई।। मैं भाव लिखती हूं,लोग शब्द पढ़ते हैं हो सकता है भावना मेरी देती ना हो दिखाई।। पर कभी झांकना अंतर्मन के गलियारों में,हो सकता है मैं भी नजर आईं।। बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई।।    स्नेह प्रेमचंद