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हुई धन्य धरा अंबर नतमस्तक((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा आर्ट बाय ऐना))

हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक आज का दिन है अति महान। दशमेश गुरु गोबिंद सिंह का जन्मोत्सव आज, नहीं भूलेगा वतन आपका अमर बलिदान।। अति उत्साह और श्रद्धा से बनाया जाता है प्रकाशोत्सव, व्यक्तित्व,कृतित्व दोनो ही महान।। हिंदुत्व की रक्षा करने वाले, बचा गए अपना हिंदुस्तान। चार चार शहजादे वार दिए वतन पर, नहीं भूलेगा कभी कोई आपका बलिदान।। हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक आज का दिन सच अति महान।। *सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियों हों मैं बाज तडऊं, तबसे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं* कह गए गुरु गोबिंद सिंह, शौर्य और साहस से भरी दास्तान। हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक, प्रकाश पर्व की निराली सी शान।। महान योद्धा,कवि,आध्यात्मिक गुरु और परिचय क्या दूं आपका, वतन की खातिर हुए कुर्बान।। खालसा पंथ की स्थापना की आपने   बैसाखी के दिन, सच में बने आप हिंद की शान।। खालसा वाणी *वाहे गुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतह* आपके मुख से ही हुई थी निसृत, सच में ईश्वर का फरमान। खालसा पंथ का रहा उद्देश्य *धर्म की स्थापना और मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाना* भली भांति आपको था ये ज्ञान।। हुई धन्य धरा,अंबर नतमस्तक, आज का दिन

शब्दों में नहीं वो ताकत