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मज़ाक

कटाक्ष और मज़ाक की मध्यरेखा होती है बंधु अति महीन। टूटता है दिल यदि किसी कथन से, हमारे,टूट जाता है संग में और यकीन।। हमारे वचन न दुखाएं हिवड़ा किसी का, बस यही कहता है प्रेमवचन।। क्या लाए थे,क्या ले जाएंगे, यहीं रह जायेगा तेरा इकठा किया धन।।।