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शुक्रगुजार

कर देना बरखा ( Thought by Sneh premchand)

आशीषों की बरखा कर देना, ओ मेरे परवरदिगार। अभिनव के जन्मदिवस पर, होगा, सबसे बेहतर उपहार।। प्रेमचमन का ये,एक पुष्प है, प्रेम की महक से,करना सरोबार। सज्जन बनने के गुण देना दाता,  बिनती,कर लेना स्वीकार। सत्य,अहिंसा,और धर्म पर  हो इसको पूरा एतबार। दिल से निकली इस दुआ में, और जुड़ा हो परोपकार।। आशीषों की बरखा कर देना, ओ मेरे परवरदिगार। दे देना इसको वो ज्योति, देख सके जो ये संसार।। पाक रहे, दामन इसका, हो न,कभी भी दागदार।। बड़ा हो जाता है जब बच्चा, बन जाता है हितैषी,मित्र और सलाहकार।।  अच्छा नागरिक,अच्छा पुत्र,अच्छा भाई,अच्छा पति बने ये, अच्छे से निभाए अपना हर किरदार। इसी दुआ को समझ लेना, हैं,ये मेरे हृदय के उदगार।। कर्तव्य कर्मों से न हारे कभी, करे मेहनत जीवन में बेशुमार। मेहनत से ही मिलता है सब जीवन में, अपने आप तो उगते हैं खत पतवार।। आशीषों की बरखा कर देना ओ मेरे परवरदिगार।। प्रेम चमन के ओ पुष्प तूं, तेरे जीवनपथ में खिले पुष्प सदा, न बिछे राह में कभी अंगार। एक यही दुआ है ऊपरवाले से, हो दिनोदिन,तुझ में घना सुधार।। अपने मलिन हाथों को पौंछ देता था