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कुछ भूला याद दिलाने आया है poem by snehpremchand

कुछ भूला सा हम सबको ये याद दिलाने आया है। सच वायरस कुछ अहसास कराने आया है।। आडम्बर से है सादगी बेहतर,ये बतलाने आया है। गलाकाट प्रतिस्पर्धा से बेहतर है सहजता,इसकी आनंदानुभूति कराने आया है।। व्यर्थ की आपाधापी से मुक्ति दिलाने आया है।। बेशक बना ली हो सबने एक सामाजिक दूरी, अपने ही घर मे अपनों को अपनो से मिलाने आया है।। भागती दौड़ती सी ज़िन्दगी में एक विराम लगाने आया है। कितना काम खामोशी से करते हैं नौकर घर के, हों संवेदनशील हम उनके लिए,ये सुझाने आया है।। घर आँगन की माटी महक की अहमियत बताने आया है। घर के खाने की सौंधी महक की महत्ता समझाने आया है। सारहीन है परनिंदा,एकांत जीवन की अनुभूति कराने आया है। बाह्यमुखी से बनें हम अंतर्मुखी,हमे शांत बने रहना सिखाने आया है। आत्म अनुशाशन,आत्मसंयम,आत्मज्ञान,आत्मसुधार  आत्म रूपांतरण,आत्ममंथन कराने आया है।।  *उपवास रखे इंसा को खास*ये सार्थक कराने आया है। जल वायु ध्वनि प्रदूषण सही नही होते,ये बतलाने आया है। बरसों से चली गयी थी जो चिड़िया आँगन से,उसकी चहक सुनाने आया है। आब ए आईना मन की जो हो गयी थी धूमिल,उसे लशकाने आया है।। भृष्टाचार की काली कालिमा