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प्रेम पोटली thought by sneh premchand

प्रेम पोटली जब खोली मैंने, कुछ खास अक्स उभर कर आए, सबसे पहले मात पिता थे, जो मन्द मन्द थे मुस्काए।।          Snehpremchand

इतिहास thought by snehpremchand

आज नहीं तो कल  इतिहास  खुद को जरूर दोहराता है, मात-पिता का अक्स अक्सर ही बच्चों में बखूबी नजर आता है, जो देखते हैं बच्चे बड़ों में,वहीं उन्हें अपने वजूद में भी भाता है। शिक्षा संग संस्कार भी मिले संग संग,फिर धरा पर भी स्वर्ग बन जाता है। सोच कर्म और परिणाम की त्रिवेणी  बहती है संग संग,  होता है यह अति उत्तम, अगर सही समय पर सब को यह समझ में आ जाता है।  दिल की कलम से             स्नेहप्रेमचंद

माँ का साया