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Thought on friendship by sneh premchand

मित्रता में ना तो कुंडली मिलाई जाती ना ही मजहब देखा जाता ना कोई जाति,न उम्र, न ही हैसियत।।ऐसा होता तो शाम और सुदामा, राम और सुग्रीव मित्र नहीं होते।।        स्नेह प्रेमचंद