पहली तीज तेरे बिन माँ पहली बार ही आयी है। उठती है जलन सी सीने में एक हूक सी संग में लायी है। तेरा तीज पर माँ वो पापड़, सुहाली बनाना, घंटो लगी रह कर भी रंजिश न माथे पर लाना, वो नीम के पेड़ पर लंबे से झूले वो आज तलक भी न हम भूले हर उत्सव को खास बनाना तेरी खासियत का गाता तराना। ये तीज तो माँ याद तेरी आँचल में भर कर लायी है।।