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दस्तावेज(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

दस्तावेज होती हैं ये तस्वीरें उन संग बिताए लम्हों की, जो ताउम्र फिर यादों में करते हैं बसेरा। कुछ लोग जेहन की चौखट पर देते हैं दस्तक बार बार,होता है मधुर उनसे जीवन का हर सवेरा।। कौन कहता है तस्वीरों की नहीं होती जुबान??? हर अहसास को  भाव बखूबी कर देते हैं बखान।। **तस्वीरें हस्ताक्षर हैं भावों का इजहार के कैनवास  पर** **तस्वीरें पैगाम हैं संबंधों की मधुरता का** ""तस्वीरें प्रतिबिंब हैं मन की निर्मलता का** **तस्वीरें मोहर हैं प्रेम का** ये प्रयास हैं यादों को सहेजने का और जब आप सरीखे खास लोग इन तस्वीरों में हों तो ऊपर कहा सब सार्थक हो जाता है।।

दस्तावेज़ पर