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सीधी सड़क

मेरे दो अनमोल रतन

मधुरतम तराना

माँ बन कर माँ मैंने है जाना। कितना मुश्किल है दर्द छिपा कर ऊपर से हौले से मुस्काना।। जीवन के इस अग्निपथ पर माँ को तो बस है चलते जाना। वो रुकती नहीं, वो थकती नहीं माँ जीवन का सबसे मधुर तराना।।              स्नेहप्रेमचंद