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Showing posts from December, 2023

बहुत कुछ कहता है ये नया साल

आओ करें स्वागत 2024 का(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 आओ लें संकल्प 2024 के लिए, कुछ करने की सोचें कमाल जो हो ना सका गत वर्ष में, इस बरस में मचा दें धमाल संकल्प से सिद्धि तक के सफर में रुकना थकना ना जाने हम जब तक न मिले हमे सफलता, प्रयास करें ना अपने कम आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी सफलता, किसी बाधा को ना समझें विकराल उलझे उलझे से धागे सुलझ ही जाते हैं,बस संयम,विवेक और मेहनत से सब लें संभाल इसी लक्ष्य को प्राथमिकता दें जीवन में,होगा नहीं फिर कोई बवाल आओ करें स्वागत 2024 का, दें विदाई 2023 को, कहलाएगा जो गुजरा साल कुछ खुशियां मिली,कुछ दिक्कतें हुईं, पर रहा ना दिल में कोई मलाल  दस्तक दे रहा है 2024 धीरे धीरे अब, 2023 जाने को तैयार कुछ खो कर पाना है, कुछ पा कर खोना है,  सफर जिंदगी का कभी धीमा कभी पकड़े है तेज रफ्तार वक्त की कोख से घटनाओं का घटना रहा जारी,कभी धूप कभी छांव ऐसा रहा ये साल कुछ मिले जवाब जिंदगी की किताब के,कुछ रह गए  अनुतरित सवाल। शिकवे शिकायत की अब जला कर होली,प्रेम की मनाएं सब मिल कर दीवाली आज हो ना कोई विकार किसी भी चित में,ऐसी हो ये रात निराली सच में फिर जन्नत की भी ना होगी मन्नत,होगा मन में बस उल्लास सहज भाव से सब

शर्त दोस्ती की

पेड़ों की छांव में

ये हरियाली और ये रास्ता

आती जाती सांस में

नया साल

कुछ खुशियाँ भी आई,कुछ मलाल भी रहे,जाने लगा देखो ये साल। नववर्ष का आओ करें स्वागत,कुछ करें ऐसा जो बने मिसाल।। समय का पहिया चलता रहता अपनी ही गति से,हम कठपुतली बन कर रह जाते हैं। कभी यहाँ, कभी वहाँ, जीवन की लीला चलाते हैं। हो स्थान परिवर्तन बेशक,पर हृदय परिवर्तन की न चले बयार। चार दिनों की इस ज़िंदगानी में हो इंसा को हर प्राणी से प्यार।। इसी वर्ष हुआ हमारा राजस्थान से हरियाणा को आना। जैसे कोई भूला हुआ लौटा हो अपने घोंसले में,लगा बनाने नया ठिकाना जगह की दूरी कोई खास बात नही,खास बात है जब मनो में दूरी आ जाती है। जलती हुई शमा को आकर जैसे कोई सुनामी बुझाती है। सब रहें प्रेम से,हों सुख दुख सांझे,कटाक्षों की कोई जगह कहीं भी बचे न बाकी। सब खुश रहें,और रहें सलामत,और अधिक की तो चाह भी नही है साकी।। नववर्ष में आओ लें एक संकल्प,कभी किसी का हिया न दुखाएँ। बेशक खुशी न दें पाएं किसी को,पर गम का आगाज़ तो न लाएं।।

इंतजार गर हो सच्चा

मीठे बोल

नहीं मात्र हनुमान के

धर्म

आती जाती सांस में

राम चरित्र

प्रेम लेने केलिए

मैंने पूछा

सुग्रीव की मित्रता में राम

बड़ा भाई हो गर राम सा

राम शबरी के बेरों में

भाई संग जब खड़ा हो भाई

फिर से

राम शबरी के बेरों में(( स्तुति स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जय श्री राम

वो कैसे सब कुछ कर लेती थी(( आश्चर्य भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

वो कैसे सब कुछ कर लेती थी?? थोड़े से उपलब्ध संसाधनो में हमे सब कुछ दे देती थी!!! पर्व,उत्सव,या फिर कोई भी उल्लास' बना देती थी वो कितना खास!!! कर्मठता का पर्याय थी,जीवन मे सबसे सच्ची राय थी।। कितने पापड़ बेल कर भी सहजता से मुस्काती थी वो कैसे सब कुछ कर जाती थी !!! गर पी एच डी करनी पड़े उसके बारे में हर कोई चक्कर मे पड़ जायेगा। डाटा कुछ औऱ कहेगा,परिणाम कुछ और ही आएगा।!! समझ से परे है,मरुधर में हरियाली थी" सच मे हमसब के चेहरे की लाली थी! उफ्फ तक भी न करती थी, हर समस्या का समाधान बन जाती थी! यही सोचती हूँ मै अक्सर,वो कैसे स्नेह भी इतना वो भी सबको कैसे देती थी वो सच मे कैसे सब कर लेती थी???

हनुमान

हरि अनंत हरि कथा अनंता

जिंदगी का मैनुअल कहा जाए  रामायण को तो कोई अतिशयोक्ति ना होगी सच में ही हरि अनंत और हरि कथा अनंत होती है हर प्रश्न और चुनौती का संभावित उत्तर राम कथा  की चौपाइयों में छिपा है बस जिज्ञासु मन और खोजी सी नजर चाहिए

राम जीवन सिखाता है बहुत कुछ

आती जाती सांस में

क्यों नहीं मिलते अब लक्ष्मण से भाई

ओ पारस हमारी

राम की अयोध्या में(( भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

थोड़ा सा समय और मीठे से बोल

सुपर कूल आंटी के खिताब की हो आप हकदार(( दुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*76 बसंत देख लिए जीवन के, अनुभव की पाठशाला का समझ आ गया है सार* *कभी पतझड़ आए ना जीवन में, खुशियों की हरियाली रहे बरकरार* *सुमन का नाम देना हो तो कहूंगी आप को *सदाबहार* * हवा सी शीतल,पानी सी पारदर्शी, धरा सी सहनशक्ति,पर्वत सी  अडिगता,अग्नि से तेज का आपके व्यक्तित्व में हुआ संचार* *कुछ कर दरगुजर,कुछ कर दरकिनार* *यही मूलमंत्र है जिंदगी के सुखद सफर का, स्नेह ही जीवन का आधार* *अलग परिवेश और अलग परवरिश थी,फिर भी पानी में शक्कर सा घुलने का हुनर आपका रहा बरकरार* *हौले हौले सबको अपना बनाया आपने,चार चार पीढ़ियों से हुआ साक्षात्कार* *बेस्ट बेटी,बहु, बहन,पत्नी,मां,दादी,सासु  बखूबी निभाया हर किरदार* *हर रिश्ते को सींचा प्रेम और शांति से, अहम की कभी खड़ी करी ना दीवार* *मां कहा करती मेरी, अमित की मां बहुत ठंडे स्वभाव की है, सच में अतिशयोक्ति नहीं है ये सत्य का सार* *रूठने नहीं मनाने वालों की फेरहिस्त में है आपका नाम शुमार* *कर्म ही परिचय पत्र होते हैं असली व्यक्ति का, वरना सुनीता तो होंगी जाने कितनी हजार* *दीनबंधु जी का आंगन महका जिनके आने से,चिंटू मोंटी दो सुमनों का म

सरल नहीं था जीवन राम का

सरल नहीं था जीवन राम का

राम से बड़ा राम का नाम

कहां नहीं हैं राम

चित चैन

प्यारा नाता

रोम रोम में राम

लागी राम नाम की

सनातन धर्म की सदा ही जय हो

भगत आराध्य

राम कहानी

कल्याणी का हो कल्याण

नहीं मात्र हनुमान के