Skip to main content

Posts

Showing posts with the label जाने क्या क्या छिपाती हुई

सदा मुस्कुराती हुई

*सदा मुस्कुराती हुई* *अंतस में जाने क्या क्या छिपाती हुई* *रेगिस्तान को बसंत सा बनाती हुई* *ज्ञान गंगा चित में बसाती हुई* *कथनी नहीं करनी अम्ल में लाती हुई* *हर रिश्ते को स्नेह जल से सींच,अपना बनाती हुई* *हर किरदार बखूबी निभाती हुई* कब एक डिप्लोमेट की तरह हौले से जिंदगी के रंगमंच से निकल गई, पता ही नहीं चला पर तेरे जाने के अभाव के प्रभाव का बहुत अच्छे से पता चल रहा है।।