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दस्तूर thought by sneh premchand

कभी हथिनी कभी गाय कैसा चला दिया दस्तूर। बस एक बार बता दे कोई क्या है इन बेजुबानो का कसूर??? कब तक मानव बना रहेगा दानव, यूं ही तड़फ तड़फ कर मरते रहेंगे ये बेकसूर।। कब तक सोई रहेगी संवेदना, दिखती नहीं क्या पीड़ा इनकी, चला गया क्या आंखों का नूर।।           Snehpremchand