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ज्योत्सना भी तूं,आरुषि भी तूं

ज्योत्सना भी तूं,आरुषि भी तूं, मां तूं ही चांद पूनम का, तूं ही  जिंदगी का आफताब। सौ बात की एक बात है, मां मैं हर्फ,तूं पूरी किताब।। क्या लिखूं तेरे बारे में मां, तूने तो मुझे ही लिख डाला। सोच सोच होती है हैरानी, कैसे तूने मुझे था पाला??? सीमित उपलब्ध संसाधनों का भी तूने कभी नहीं दिया हवाला। रत्ती भर भी मिल जाए तेरे वजूद का गर मां, समझूंगी,पी लिया अमृत प्याला।। जिंदगी की किताब के हर पृष्ठ पर नजर तूं ही तूं आती है। क्या करूं??? समा गई है जेहन में ऐसी,जैसे एक सांस आती है,एक सांस जाती है।। मां आज जन्मदिन है मेरा और मेरे जेहन मे आज अक्स तेरा और मुखर हो जाता है। मेरा तो रोल मॉडल है मां तूं, जिंदगी के हर मोड़ पर जिक्र तेरा, जैसे मुझे सहला जाता है।। अक्षर ज्ञान भले ही न रहा हो तुझे, पर जिंदगी का तुझ से अधिक हो किसी को अनुभव, मुझे तो नजर नहीं ऐसा आता है।। भावों से है दोस्ती मेरी मां, अल्फाजों से नहीं,वरना बता देती, कैसा चलती ट्रेन से धड़धडाता वजूद था तेरा,और ऐसे वजूद के आगे कैसे थरथराते  से पुल सा वजूद था मेरा।। जन्मदिन हो और जन्म देने वाली को नमन न किया जाए,ये तो किसी हाल में न होगा मां गवारा।