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शोक नहीं संताप नहीं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

शोक नहीं,संताप नहीं, हम गर्व से यह गुनगुनाएंगे। अंजु जैसी बहना को प्रेरणास्त्रोत बनाएंगे।। कोई बाधा नहीं होती बाधक, गर संकल्प से सिद्धि तक के सफर को निष्ठा से किया गया हो पूरा। कथनी में नहीं करनी में था विश्वास तेरा, नहीं छोड़ा कोई काम अधूरा।। तेरी कर्मठ कार्यशैली को हम सब भी अपनाएंगे। *कर्म ही पूजा है*  को जो अपनाया तूने लाडो, अब हम सब भी अपनाएंगे।। शायद यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि तुझे, जब सब अपने अपने कार्यक्षेत्र में सौ प्रतिशत दे पाएंगे।। जिजीविषा ने सदा तेरी जिंदगी का किया श्रृंगार। चेतना ने सदा ज्ञान को पहनाया श्रद्धा का हार।। जीवन समर की ओ पुरोधा! जाने कितने ही पाठ जीवन के, तेरे जीवन से सीख हम पाएंगे। कारवां ए जिंदगी में जो जो किया तूने, तेरे पद चिन्हों से हम अपनी कदमताल मिलाएंगे।। शोक नहीं,संताप नहीं, हम गर्व से यह गुनगुनाएंगे।। हम भाग्य शाली हैं जो मिली तूं हमे जीवन में, बहुत कुछ सीख तुझ से अपने जीवन को भी सार्थक बनाएंगे।। युग आएंगे,युग जाएंगे, हम तुझ को भुला न पाएंगे।। आने वाली पीढ़ियों को भी तेरी हिम्मत के किस्से सुनाएंगे।। सबसे छोटी पर *औरा* सबसे बड़ा तेरा, करुण