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त्याग जरूरी है

सुविचार,,,,,,यदि हमारे सम्बंधी ,मित्र अधर्म और अनीति की राह पर चल पडें,सम झाने पर भी न समझे,अपनी गलती का अहसास न करें,पापाचार जारी रखे,तो उनका त्याग कर देना ही सही है,अधर्म और अनीति पर चलने वाले रावण को जब विभीषण समझाने का प्रयास करता है, तो रावण उसको लंका से निकाल देता है,इस समय विभिषणधर्म  और सत्य की राह पर चलने वाले राम की शरण में चला जाता है भले ही राम उसके भाई का शत्रु होता है विभीषण अपने उस सगे भाई को त्याग कर रघु नंदन राम की शरण आ जाता है,कांटा पाँव में चुभे,तो निकलना ही सही है,आप को क्या  लगता है?

भीगने का

असली स्वरूप

सबसे प्यारा नाता (Thought by Sneh Prem chand)

कभी कभी

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आया है

अरदास

पता ही नही चला,और बीत भी गए आठ साल, पापा हमसे बिछड़े हुए,सुनाएं किसको अब हाल??? एक सहजता  का आंगन बाबुल का कहलाता है, बच्चों की मुस्कान हेतु,वो उनकी हर परेशानी सहलाता है।। नही जगह ले सकता कोई मात पिता की,ईश्वर उनकी रूह को एक नए साबुन से ही नहलाता है, फिर भेज देता है पास हमारे,वो जन्मदाता पिता कहलाता है।। बरगद की घनी छाया है पिता, सबसे घना सुरक्षा साया है पिता, सहजता का पर्याय है पिता, अपनत्व के मंडप में प्रेमअनुष्ठान है पिता, हर समस्या का समाधान,,हर सवाल का जवाब है पिता,माँ की तरह उसे प्रेम का करना नही आता इज़हार,ऊपर से कठोर, भीतर से नरम,वाह रे पिता का अदभुत प्यार।। मैं हूँ न कहने वाला होता है पिता, सबसे अच्छी जीवन मे राय है पिता, पता ही न चला,कब बीत गए आठ साल, कोई नही पूछता अब क्या है हमारे दिल का हाल। करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास, मिले शांति उनकी दिवंगत आत्मा को,है प्रार्थना ही हमारा प्रयास, सबकी इस जहां में हैं गिनती की ही शवास, जितना तेल दीये में होता,उतना ही जीवन प्रकाश।।। वो बाजरे की खिचड़ी,वो लहुसन की चटनी वो मिस्सी रोटी की सौंधी सौंधी महक वो सरसों का साग,वो हलव

सजल नयन by sneh premchand

सजल न हों ये नयन कभी, जिन्होंने सदा हंसना सिखाया है। आप को सिकन्दर हैं मुकद्दर के, आपका व्यक्तित्व तो सबको भाया है।। अगणित दुआएं हैं संग आपके, आपकी सलामती का तराना सबने मिल कर गाया है।।             स्नेह प्रेमचंद

Thought on change by sneh premchand