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बहुत कुछ होती है चाय(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 *चाय चाय ना हो कर  बहुत कुछ है* *औपचारिकता से अपनत्व तक का सफर है चाय* *परवाह प्रेम मान सम्मान है चाय* *संबंधों की सब्जी पर मधुरता का धनिया है चाय* *दोस्ती के नाते पर प्रगाढ़ता की मोहर है चाय* *मेहमान नवाजी है चाय, स्वागत है चाय* *चाय की चौकड़ी छप्पन भोगों पर भी भारी है* *मात्र दस रुपए की चाय अनमोल सा काम करवाने की क्षमता रखती है* *चाय का मोल नहीं मूल्यांकन महत्वपूर्ण है* *बिसनेस डील है चाय स्ट्रेस हील है चाय* *हास परिहास उल्लास के मंडप में जिजीविषा का अनुष्ठान है चाय* *रिश्तों की सूई में मीठे से बंधन का धागा है चाय* *रसूख,सहजता और मेलजोल है चाय* *विचार गोष्ठी की रूह है चाय* *शिक्षक और संस्कार है चाय* *एक मीठा सा गठबंधन है चाय* *जुड़ाव है चाय माहौल है चाय*  एक बार सौहार्द के खौलते हुए पानी में अपनत्व की इलायची और स्नेह की अदरक उबाल कर उल्लास की पत्ती डालें,मधुरता की शक्कर और परवाह का दूध डालकर चाय बना कर तो देखो ऐसा जाएगा कहीं नहीं मिलेगा।।