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Showing posts with the label संगीत

क्या नहीं है मां

माँ गीत है,माँ संगीत है,शिक्षा है माँ,संस्कार है माँ,रीत है माँ,रिवाज़ है माँ,दीप की ज्योति है माँ,सीप का मोती है माँ,पंखे की हवा है माँ,रोटी का तवा है माँ,मरुधर में शीतल छैया है माँ,कान्हा की गईया है माँ,ज़िन्दगी का प्रथम अध्याय है माँ,हर मोड़ पर साथ निभाती है माँ,ऐसी होती है माँ

A tribute to Lata Mangeshker ये कौन गया है महफिल से???? ((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ये कौन गया है महफिल से?????? वतन ही नहीं,स्तब्ध है पूरा संसार। खामोश सी हो गई हैं स्वर लहरियां,  सातों सुर,सरगम,संगीत भी  हो गए हैं आज फीके बेजार।। लय,गति,ताल भी खोई खोई सी हैं आज,ऐसी गायिका का बहुत ऊंचा किरदार।। छोटी हो गई लेखनी आज दिग्गज गायिका के आगे,भावों के समक्ष अल्फाज गए हैं हार।। थम गया आज सुरों का काफिला, चल पड़ी स्वर कोकिला हरि के द्वार।। हानि धरा की,लाभ गगन का यही आता है नज़र,आपकी विदाई का सार। आज सच्चा कोहिनूर रुखसत हो गया बेशक जग से,पर जिक्र और जेहन में सदा रहेंगी शुमार।। *कभी नहीं मरा करते कलाकार* युगों युगों तक जीवंत रहते हैं अपनी कला से,रोएं रोएं में अस्तित्व रहता है उनका बरकरार।। जर्रे ज़र्रे में कला निखरती है निस दिन,बेशक नश्वर तन एक दिन छोड़ जाता है संसार।।       स्नेह प्रेमचंद

सुनसान

रुझान था तेरा

साहित्य,संगीत, कला के प्रति रहा सदा तेरा विशेष रुझान। रौनक ए अंजुमन कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी कोई, तूं कुदरत का धरा पर अनमोल वरदान।। धन्य हो जाती है लेखनी जब तुझ पर चलती है,रहे ने कोई तेरी शख्शियत से अनजान।।

आत्मा परमात्मा

संजीवनी बूटी

पुकार

रूप अनेक

सच्चा मीत thought by snehpremchan

 सूना और उदास है यह जग घर ना हो इसमें संगीत । वादय लहरिया झंकृत कर देती हैं तार दिलों के, आज की नहीं युगों युगों पुरानी है यह रीत।।और अधिक नहीं आता कहना,  संगीत ही है जिंदगी का सच्चा मीत।।।