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Showing posts with the label चोटिल वजूद

कितनी बार thought by snehpremchand

जाने कितनी कितनी बार गिरकर लड़खड़ाते कदमों से फिर उठने का करती हूं प्रयास।  यह क्या कोई बहुत ही अपना फिर से खींच देता है टांग मेरी,  चोटिल वजूद में सजल नैनों में दर्द करने लगता है वास।।     Snehpremchand