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भारतीय जीवन बीमा निगम

भा---रतीय जीवन बीमा निगम का दूसरा नाम है *सुरक्षा और विशवास* *भरोसे की नाव में,आश्वासन के चप्पू* *सुखद वर्तमान उज्जवल भविष्य की आस* र---खा है जिसने स्नेह और सौहार्द सभी से, तभी निगम है अति खास *मां की गोद* सा है निगम हमारा *सर्वे भवन्तु सुखिन* का भाव इसमें बेहिसाब ती---र्थ भी कर्म है,धाम भी कर्म है,इसी सोच से हुआ सतत निगम का चहुंमुखी विकास *योगक्षेम वहाम्यंह* लोक कल्याण के वास्तविक अर्थ को चरितार्थ करती महान संस्था सच कितनी खास य---हाँ, वहाँ सर्वत्र पसारे पाँव निगम ने, अपने अस्तित्व का इसे आभास हर गली, कूचे,गलियारे में बजता है अनहद नाद सा,  जन जन को आता है अति रास *सेवा संग मुस्कान के* होती है यहां,होता है सार्थक परिकल्पना,प्रतिबद्धता और प्रयास जी--वन के साथ भी,जीवन के बाद भी,निराशा में भी आशा का किया है वास हो जाए गर कोई अनहोनी *मैं हूं ना* का करवाता है अहसास व---नचित न रहे कोई भी उत्पादों से, इसके,यथासंभव किया हर प्रयास झोंपड़ी से महलों तक पहुंचे उत्पाद हमारे *संकल्प से सिद्धि तक यही प्रयास* न---भ सी छू ली हैं ऊंचाईयां, आता है धरा के भी रहना पास हर वर्ग है ग्राहक इसका, जै

संकल्प से सिद्धि तक(( विचार स्नेह प्रेमचंद सदस्य *हमारा प्यार हिसार* समूह))

*संकल्प से सिद्धि तक*  छिपे होते हैं जाने कितने ही *अगणित प्रयास* प्रयास ही तो होते हैं वे  *संजीवनी बूटी* *जो बना देते हैं हमें  अति अति खास* *धरा पर संकल्प लिया, गगन में कर डाला साकार* *चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना भारत,  हो रही चहुं दिशा में जयजयकार* *प्रतिभा को गर मिल जाएं अवसर  संसाधन और सहयोग* *उपलब्धि खटखटा ही देगी द्वार आपका,सबसे बड़ा है कर्मयोग* *कर्मयोगियों के कर्मों ने सच में रच दिया इतिहास* *बैलगाड़ी से चांद तक के सफर को एक ही नाम देंगे *विकास* *परिकल्पना,प्रतिबद्धता और प्रयास* *इन तीनों से बनता है इंसा अति खास* *चंद्र यान 3 की सफलता से बढ़ा है जाने कितनों का विश्वाश* *असफलता ही ले जाती है सफलता की ओर,बस बना रहे आत्म विश्वास* *धीरज की नाव में चप्पू मेहनत के, मांझी भरोसे का,सफलता फिर आ ही   जाती है रास* *माना हर सफर मंजिल की ओर जाए, ज़रूरी तो नहीं पर मंजिल की ओर जाएगा कोई न कोई सफर ही, बहुत ज़रूरी है *हो गया इस सत्य का आभास*

तीन सिद्धांत विवेकानंद जी के