Skip to main content

Posts

कभी कभी

Recent posts

लम्हा लम्हा

जिंदगी और कुछ भी नहीं

हर अहसास नहीं लिखा जाता

अभी बाकी है

सरलता से सहजता से

मात्र भाषा ही नहीं राष्ट्र प्रेम है हिंदी(( विचार स्नेह प्रेमचंद))