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वो जागता है तो हम सोते हैं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

वो जागता है तो हम सोते हैं, वो हिफाजत करता है  तो हम महफूज होते हैं। वो सियाचिन के बर्फीले पहाड़ों पर ठंड में ठिठुरता है तो  हम मखमली बिछोनो पर चैन से सोते हैं।। वो मेरे वतन का सच्चा प्रहरी है, नहीं भूल सकते हम कभी उसका उपकार। हिंद की आन बान और शान है वो, पूरा वतन उसका परिवार।। भारतीय सेना के जवानों के ताउम्र हम ऋणी रहेंगे। अनेक शौर्य गाथाएं और किस्से, कहानी उनकी खुद ही कहेंगे। महफूज हैं हम गर वो है संग नहीं उसके बलिदान को कभी सकते हैं बिसार। वो मेरे वतन का सच्चा प्रहरी, क्यों भूलें उसका उपकार???? वो सरहद का रखवाला है तो हम शान से जीते हैं। उसके बिन तो मैं क्या,तूं क्या,हम सब रीते रीते हैं।। मातृ भूमि का ऋण चुकाने वाले सच में धरा पर ईश्वर का अवतार। वो मेरे वतन का सच्चा प्रहरी है, क्यों भूलें उसका उपकार।। जब जब मां भारती के आंचल को अपनी बुरी नजर से किसी ने करना चाहा दागदार। वो सच्चा प्रहरी आगे बढ़ कर आया, बेशक चली हो उस पर कटार।। पहन केसरिया बाना,निभाया अपना उत्तम किरदार।