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ना दिन देखते हैं (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सच में काबिल ए तारीफ हैं  *इनके कर्म और इनके जज़्बात* आप भी जानो,हम भी जाने *ये तो न दिन देखते हैं  ना देखते हैं रात* *कर्म ही पूजा हैं* *उच्चारण में नहीं, आचरण में है इनके ये बात* कोई और नहीं  हैं,  ये हमारा प्यारा हिसार के मतवाले, *अच्छी सोच, कर्म,परिणाम की  त्रिवेणी बहाते हैं ये दिन रात*