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Kahin nhin jaate lekhak A tribute to Harivansh Rai Bachhan by Sneh premchand

या तो ऐसा कुछ लिख डालो कि तुम्हें इस जहान से जाने के बाद भी कोई जेहन से ना निकाल सके या फिर कुछ ऐसा कर जाओ कि कभी जिक्र और जेहन से तुम्हारा जाना ना हो।हरिवंश राय बच्चन जी ऐसा लिख गए जो जनमानस के जेहन में सदा के लिए अंकित हो गया है। *कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती* ऐसी कालजयी प्रासंगिक रचना हर हृदय को छू लेती है।मधुशाला जैसी कृति तो कल्पनातीत है।आपको सम्न्यवादी,मानवतावादी कवि की संज्ञा देना सही होगा। *मुसलमान और हिंदू दो हैं एक मगर उनका प्याला एक उनका मदिरालय है एक मगर उनकी हाला* मानव मन की दुविधा,संशय इन पंक्तियों में उजागर होती है। *मदिरालय जाने को घर से चलता है पीने वाला किस पथ से जाऊं?? असमंजस में है भोला भाला* *क्या भूलूं क्या याद करूं* बच्चन जी की आत्मकथा को एक बार नहीं अनेक बार पढ़ने का जी चाहता है। *मंजिल मिले या ना मिले, ये तो मुकद्दर की बात है, हम कोशिश भी न करें, ये गलत बात है* कितनी  सार गर्भित बात कह गए। किसी ने बर्फ से पूछा इतनी ठंडी क्यों हो?? बर्फ ने हंस कर उत्तर दिया *मेरा अतीत भी पानी,मेरा भविष्य भी पानी,फिर गर्मी किस बात की रखूं?? जीवन के इतने बड़े