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Showing posts with the label मुस्कान

गुणगान(( अनुभूति स्नेह प्रेमचंद की)

मेरे चित को मिलता है चैन, जब करती हूं तेरा गुणगान जो सत्य है उसे ही तो  भावों का पहनाती हूं परिधान आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय रहेंगे तेरे कदमों के निशान *उम्र छोटी पर कर्म बड़े* मिला मुस्कान का तुझे वरदान खुद मझधार में होकर भी साहिल का पता बताने वाली कोहेनूर सी मां जाई मेरी रहे ना कोई तेरे व्यक्तित्व से अंजान ये नैतिक दायित्व है मेरी लेखनी का खंड खंड शब्दों को एक किताब का पहना दूं परिधान मां सरस्वती करना कृपा मुझ पर,एहसासों को दे सकूं जुबान

सदाबहार मुस्कान

परिधान

पिता महान

मुश्किल है

जब जब तूं मुस्काती है

जब जब

मुस्कान

चाबी

ज़रूरी तो नहीं

ज़रूरी

Thought on daughter by Sneh premchand जिजीविषा मुस्कुरा रही होती है।।

बिटिया को परिभाषित करने के लिए यदि एक ही पंक्ति मिले