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प्रकृति की कोख से

प्रकृति की कोख से जब भी किसी सुमन ने जन्म लिया, महका दिया अपनी महक से ज़र्रा ज़र्रा, उसने तो मानव को बस दिया ही दिया।।                 स्नेहप्रेमचंद