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Poem on Mother नूर ए जिंदगी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*नूर ए जिंदगी*कहा जाए मां को तो, कोई अतिशयोक्ति ना होगी। *रोशनी ए चिराग* कहा जाए गर मां को,तो वो सच्चे एहसासों की उम्दा अभिव्यक्ति होगी।। *अल्फाज ए किताब*कहा जाए मां को,तो भी इतना ही सही होगा, जितना बच्चे में मासूमियत का होना।। *गजल ए रूहानियत* कहा जाए गर मां को,तो वो भी सागर में नीर होने जैसा होगा।। *धड़कन ए दिल* गर कहा जाए मां कोतो ये शब्दों की नहीं, भावों की खूबसूरती होगी।। "प्रकृति की हरियाली* कहना भी मां को सही होगा। *ऊषा की लालिमा* *सावन की फुहार* *आफताब का तेज*  *इंदु की ज्योत्सना* *कायनात में चेतना* *चेतना में स्पंदन* *चित में जिजीविषा ,*नृत्य में थिरकन* *संगीत में सुर* *माटी में महक* *चिरैया में चहक* *धरा में धीरज* *गगन में ऊंचाई* *सागर में गहराई* *कंठ में आवाज* *गीत में साज* *परिंदे में उड़ान* *मानस में राघव* *गीता में शाम* *मंदिर में घंटी* *मस्जिद में अजान* * तन में श्वास* *मन में विश्वाश* *दीए में तेल* *पेड़ में छांव* *मारवाड़ में पानी* *शीत में सूरज* *पायल में घुंगरू* *सुर में ताल* *गंगन में तारे* *मेंहदी में लाली* *इंद्रधनुष में सात रंग* *आईने में प्रतिबिंब* *आग म