Skip to main content

Posts

Showing posts with the label तूं राम तो मैं हनुमान

तूं दिल तो मैं हूं धड़कन(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

//तूं दिल तो मैं धड़कन// //तूं सुर तो मैं सरगम// //तूं सागर तो मैं पल// //तूं वक्त तो मैं पल// //तूं दीया तो मैं हूं ज्योति// //तूं सीप तो मैं हूं मोती// //तूं नदिया तो मैं हूं धार// //तूं डोर तो मैं हूं हार// //तूं पंख तो मैं परवाज// //तूं कंठ तो मैं आवाज// //तूं नयन मैं हूं नूर// //तूं हाला तो मैं हूं सरूर// //तूं रीत तो मैं आवाज// //तूं भाव तो मैं अल्फाज// //तूं मीत तो मैं हूं प्रीत// //तूं संगीत तो मैं हूं गीत// //तूं माखन तो मैं हूं मधानी// //तूं राजा तो मैं हूं रानी// //तूं मंजिल तो मैं हूं राह// //तूं मिलन तो मैं हूं चाह// //तूं लक्ष्य तो मैं प्रयास// //तूं प्राप्य तो मैं आस// //तूं इमारत तो मैं आधार// //तूं विश्वाश तो मैं प्यार// //तूं परिंदा तो मैं पंख// //तूं परीक्षा तो मैं अंक// //तूं बादल तो मैं बरखा// //तूं सूत तो मैं चरखा// //तूं अभिव्यक्ति तो मैं अहसास// //तूं श्रम तो मैं विकास// //तूं मंदिर तो मैं मूरत// //तूं आईना तो मैं सूरत// //तूं प्रेम तो मैं विश्वाश// //तूं भगति तो मैं अरदास// //तूं पतंग तो मैं डोर// //तूं दिनकर तो मैं उजली भोर// //तूं रंग तो मैं रंगरे