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आहिस्ता आहिस्ता

आहिस्ता आहिस्ता चल ए ज़िन्दगी, कुछ हिसाब चुकाने बाकी हैं, आहिस्ता आहिस्ता चल ए ज़िन्दगी कुछ ख्वाब भुनाने बाकी हैं।। आहिस्ता आहिस्ता चल ए ज़िन्दगी कुछ रिश्तों में पैबंद लगाने बाकी हैं, कुछ सम्बन्धों से सलवटें हटाना बाकी है, कुछ हसरतों को मंज़िल तक पहुंचाना बाकी है, कुछ से क्षमा माँगना बाकी है कुछ को क्षमा देना भी बाकी है, आहिस्ता आहिस्ता चल ए ज़िन्दगी कुछ हिसाब चुकाने बाकी हैं।। कुछ शौकों को समझौतों में बदलना बाकी है, कुछ अनमोल सी यादों को अतीत के झोले से निकालना बाकी है,  मचलते अरमानों को ठहराव दिखाना बाकी है, कुछ बिखरे बिखरे से ज़ज़्बातों को समेटना बाकी है,  कुछ उदास लबों पर मुस्कान खिलाना बाकी है, कुछ शिक्षाओं को संस्कार का तिलक लगाना बाकी है, आहिस्ता आहिस्ता चल ए ज़िन्दगी दस्तूर ए रिवाज़ निभाना बाकी है, हम सबके लिए हैं,सब हमारे लिए हैं यह अहसास कराना बाकी है।। स्वार्थ से परमार्थ की बयार चलाना बाक़ी है एक दिन सब को जाना है खाली हाथ ही यह अहसास कराना बाकी है।। आहिस्ता आहिस्ता चल ए ज़िन्दगी कुछ हिसाब चुकाने बाकी हैं, कुछ ख्वाब भुनाने बाको हैं।।              स्नेह प्रेमचन्द