Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2022

जिंदगी पूरी हो जाती है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

साथ

दिल में

हमने देखी है

रहे ना रहे

सजल

श्रोता

याद

खुशी

दिल और धड़कन

चले गए

सात रंग

ek अक्षर

दिलोजान

नतमस्तक

इंद्रधनुष

दर्जी

मन प्रांगण में

पहली बारिश

बारिश

मोहब्बत

फितरत

रात

मैं नहीं कहती

कब

अल्फाजों

we

कह दिया

सोना

उत्तर

वक्त

ना दिखे अल्फाज

बरसों

चार पहिए

जब तक रास्ते समझ आएं

सच्चे मित्र

तेरे हाथ के

वास्तविक सुख

अच्छी पुस्तकें

मुट्ठी भर

प्रतिबिंब

कितनी भी

खुशी नहीं मिलती बाहर से

शब्द संभाले बोलिए(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ये कौन सी मावस आ गई

ये कौन सी मावस आ गई  जो डस गई पूनम के उजियारे। हानि धरा की लाभ गगन का, आती है याद तूं सांझ सकारे।। एक हूक सी उठती है सीने में, जैसे सुलग रहे हों राख के नीचे अंगारे।। उच्चारण से अधिक आचरण में  था विश्वाश तेरा, सदा तूने बिगड़े काम सुधारे।।